Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Paramjeet Singh

Classics

2  

Paramjeet Singh

Classics

पुराना बरगद

पुराना बरगद

1 min
238


था इक पेड़ बड़ा अलबेला

एकांत सड़क पर खड़ा अकेला

आते जाते राही बैठें 

लें छाया का भरपूर आनंद

सुन्दर हरे भरे पत्ते


हिलते जब भी मंद मंद

मैं भी बैठा इक दिन वहां

शांत माहौल सारा था

चीं-चीं चूं-चूं की मधुर आवाजें

ऐसा सुन्दर नजारा था


वास्तव में वो पेड़ नहीं था

अंदर जीवों का आशियाना

शीतल ठंडी हवा और छाया

राहगीरों का आना-जाना


ऐसा स्थान कहां देखा

हर इंसान जहां गदगद था

वो पीपल था न नीम था

वो पेड़ पुराना बरगद का।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics