Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Paramjeet Singh

Tragedy

3  

Paramjeet Singh

Tragedy

आखिर कब तक

आखिर कब तक

1 min
311


कैसी पढ़ाई कैसी शिक्षा

औरत दे रही अग्नि परीक्षा

कब तक यूं ही घुटती रहेगी


अपने जख्मों के समेटे

आह भरे न कर्राहट 

चुपके चुपके चलती जाए 

न कोई शोर न‌ कोई आहट 


बीत गए बरसों यूं ही 

न आंख लगे न‌ जीना आता

सोच बस यही रहती मन में

इससे अच्छा तो मांग लेती दीक्षा-भीक्षा 


आखिर क्यों देनी पड़ती है

औरत को ही अग्नि परीक्षा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy