बेनाम रिश्ता
बेनाम रिश्ता
ना मुराद एक सपना है
जो लगता बहुत अपना है
बड़ा गहरा है बड़ा प्यारा है
मुझे उसका बहुत सहारा है
एक याद बड़ी मीठी सी
जुदाई की चुभन तीखी सी
रहना उसका यादों में
मेरी रस्मों, कस्मों, वादों में
रह रह के रोना आता है
दर्द गहरा होता जाता है
रूह में उतरा लगता है
गले में ठहरा राग कोई
वो अपनों से भी अपना है
दिल का गहरा राज कोई
बहुत छुपाकर रखा है
कैसे करदे बदनाम कोई
ये नाम नहीं पहचान मेरी
ये रिश्ता है बेनाम कोई।