दो और दो पांच
दो और दो पांच
शिक्षक ने छात्र से पूछा "दो और दो कितने होते हैं"
छात्र बोला "पांच होते हैं"
शिक्षक बोले "साल भर से पड़ा रहा हूं
दो और दो चार सिखा रहा हूं"
छात्र बोला "दो और दो चार सिखाकर
अपनी तरह मास्टर, बाबू बनाने का इरादा है
दो और दो पांच सीखकर बनूँगा आदमी बड़ा
अपना ये वादा है
अगर आपने सीखा होता
दो और दो पांच
तो यूँ फटेहाल न होते
महंगाई से बेहाल न होते
आजकल मास्टर, बाबू को लोग अपनी लड़की देने से पहले सोचते हैं
योग्य वर न मिले तो इन अयोग्य लोगों को देते हैं
दो और दो चार सिखाकर क्यों मास्टर, बाबू बना रहे हैं, बेकारी बढा रहे हैं
आखिर आप हमें किस आधार पर दो और दो चार सिखा रहे हैं।