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Parthsingh Rajput

Tragedy

4  

Parthsingh Rajput

Tragedy

दुनिया एक गिरगिट

दुनिया एक गिरगिट

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मैं केसे कह दूं दुनिया को मासूम,

मैने जब भी देखा गिरगिट ही देखा हैं।


बच्चों को भूख में सारी रात,

षड्यंत्र की आग्नि में,

इंसानियत का चूल्हा जलते देखा हैं।


बड़पन का दिखावा करते सायो को,

हुकूमत की ताल ठोकते हुए,

राजाओं को देखा हैं।


नीर निरंकार,

घोर अन्धकार,

स्व के सीमा पार,

शमशान में शिव,

पानी में विष्णू,

को भटकते देखा हैं।


मैं केसे कह दूं दुनियां को मासूम,

मैने जब भी देखा गिरगिट ही देखा हैं।।


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