आगामी चुनाव सत्र
आगामी चुनाव सत्र
अब जब चुनाव सत्र आएगा
जनता का सर्वत्र लुट जाएगा
हर चुनाव के बाद महंगाई बढ़ती है
जैसे जनसंख्या कभी नहीं घटती है
हर चुनाव के बाद नया बजट आता है
मूल्य वृद्धि की बाढ़ लाता है
आदमी ऐसे कंपकंपाता है
जैसे मलेरिया का बुखार आता है
अब के नए बजट में सरकार जनता का खून चूंसेगी
आदमी की हड्डी मुहं में ठूंसेगी
क्योंकि देश की माली हालत खस्ता है
पैसा देना भी आदमी को नहीं जंचता है
फिर खून भी तो बिकता सस्ता है
जनता के पास देने को यही है
देश चलाना है ये भी सही है
सरकार को इससे अच्छा टैक्स कहां मिलेगा
विदेशों में ऊंची कीमतों में बिकेगा
जिस देश में गंगा बहती है कि जगह जिस देश में खून बिकता है
इज़्ज़त, ईमान पहले ही बिकता था
अब गुर्दा, किडनी, आंखें, लहू बिकता है
यही हिंदुस्तान है, क्या कम दिखता है।