प्यार का एहसास
प्यार का एहसास
गंवा मत ख़ूबसूरत पल
आज भी वो पलाश के फूलों
की महक महका रही है
उस इत्र की महक आज भी दूर से आ रही है
तेरी होने ह सबब बता रही है
तेरे कदमों की आहट उन सूखें पत्तों में
होने का एहसास जगा रही है
आज कुछ ऐसा हुआ
वो सीखे पत्ते मेरे क़दमों
पर उड़ कर कुछ कहने की
कोशिशं करते हवां के रुख़
के साथ तिलमिलाते
चिलचिलाती ठंडी हवाओं में ठिठुरतें
फिर कुछ फुस फुसाते उड़ते
एहसास में एहसास दिलाते
उसी बेंच पर उड़ते वहीं
रुक कर कुछ इशारा दे रहे थे शायद
की आज आ बैठ यहां तेरे
ऊपर सूखें पत्तों की बारिशं करनी है
जैसे उनको पता है मुझे सूखे पत्तें पसंद है
उनकी आवाजें आती दिल को दस्तकं दे जाती है
किसी के जज़्बातों का एहसास दिला जाती है
उस ठिठुरती सर्दी में भी
ग़म में चूर आंखो में किसी से दूर
होती मिलने की आस जगाएं
पहलूं में अपनी किताब लिए
उन लम्हों को पिरोती
एक एक लफ्ज़ लिखती
एक आंसू की बूंद को रोकती
बस मत गंवा मत ख़ूबसूरत एहसास को
जी लूँ ज़रा जी लूँ ज़र्रा ज़र्रा
ज़र्रा में सांसें चल रही है
उनकी भी आवाजें महसूस हो रही है।
