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Anju Motwani

Drama

4  

Anju Motwani

Drama

आवाजें

आवाजें

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गूंजती हैं कुछ आवाजें 

तन्हाई में भी 

जो दिल के बेहद 

करीब होती हैं। 


दूरियां भी उन आवाजों को 

रोक नहीं पाती हैं 

चली आती हैं साथ साथ 

परछाईं की तरह 

सात समंदर पार या 

बंद हों द्वार। 


संगीत लहरियों की तरह 

सुनाती हैं राग 

सरगम की धुनें 

कर देती हैं विचलित। 


इस शांत मन को भी 

चाहे अनचाहे मजबूर हो 

गाता है जीवन 

नित नए गीत 

कभी सुर में कभी बेसुरे। 


आवाज़ें अपनों की 

अपने सपनों की 

खिलती खिलखिलाहटें  

चीख पुकार 

अधूरी ख्वाहिशों की 

आँसुओ भरी।

 

दबी दबी सिसकियां  

पीड़ा भरी कराहें 

सुनसान रात में 


पत्तों की सरसराहट 

यादों की निरंतर 

बहती नदी की कल कल 

पीछा नहीं छोड़ती कभी भी। 


एक अंतहीन सफ़र

तय करती ये आवाज़ें 

कहाँ से आती हैं 

कहाँ जाती हैं।


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