पोषण
पोषण
शाखों पर झूलती
हरी हरी चमकती पत्तियाँ
भीगी भीगी सी
बारिश में नहायी
आषाढ़ के आगमन पर
नाचती झूमती खिलखिलाती
करती हैं स्वागत
झिलमिल बूंदों का
नव जन्मी कोंपलों के
स्वागत में मंगल गान गाती
हवा के झोंकों के साथ
उन्हें झूला झुलाती
लोरी सुनाती
समय के साथ
मुरझाई, झुर्रियों वाली
बूढ़ी पत्तियाँ
अपना रंग खोती
धीरे धीरे शिथिल हो
जाने कब अपनी जगह
छोड़ दें
प्रकृति का काल चक्र
किसी भी पल
मिट्टी में मिला देगा उन्हे
लेकिन मिट्टी में मिल कर भी
करना है पोषित
अपनी अगली पीढ़ी को
जड़ों को मजबूत
जो करना है ।