पहाड़ पर कविता
पहाड़ पर कविता
जंगल को बचाने के लिए
पहाड़ पर कविता जाएगी
कुल्हाड़ी की धार के लिए
कमरे में दुआ मांगी जाएगी
पहाड़ पर बोली लगेगी
कविता भी नीलाम होगी
कवियों के रुकने के लिए
कटे पेड़ के घरौंदे बनेंगे
उनके ब्रेकफास्ट के लिए
सागौन के पेड़ बेचे जाएंगे
उनके मूड बनाने के लिए
महुआ रानी चली आयेगी
कविता याद करने के लिए
रात रानी बुलायी जाएगी
कविता के प्रचार के लिए
नगरों के टीवी खोले जाएंगे
कवि लोग कविता में
जंगल बचाने की बात करेंगे
टी वी में कविता के साथ
पेड़ रोने की आवाजें आयेंगी
दूसरे दिन मीडिया से
जांच कमेटी खबर बनेगी
और पहाड़ पर कविता
बेवजह बिलखती मिलेगी।