गरीबी
गरीबी
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धूप है कि चिलचिलाती
भूख है फिर कुलबुलाती
जीवन भर की चाकरी
पर पटती नहीं उधारी
सुख चैन छिना कैसी तरक्की
मंहगे गुड़ चने में फंसी बेबसी।