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Navneet Goswamy

Romance Tragedy

3  

Navneet Goswamy

Romance Tragedy

तेरे निशां

तेरे निशां

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 रेशम के मेज पोशों पर परोसी ये एक एक चीज

तुम्हारे यहां होने का एहसास दिलाती है मुझको

मोहब्बत में मेरी भी रही होगी इतनी तो कशिश

कि किसी शै में हम भी नजर आते होंगे तुझको


ये आधा छूटा रोटी का टुकड़ा

और ये जो पैमाने में, आधी पी, आधी छोड़ी तुमने

सब शख़्सियत बयां करते है तुम्हारी

सोचती हूं तारूफ क्यों किया तुमसे हमने

इनकी तरह, हमको भी तो राह में छोड़ा तुमने ।


बस इक तुम ही नहीं , मिले मुझको,

और अब

जाती हूं जहां भी, तेरे निशां मिलते है


                   


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