काम से ही शख़्सियत बनती है काम से ही शख़्सियत बनती है
जब नए नए मकसद को जीतते रहते है, तब अपना लाजवाब शख़्सियत बनाते हैं। जब नए नए मकसद को जीतते रहते है, तब अपना लाजवाब शख़्सियत बनाते हैं।
और वो आवाजें देती रही मुझको मैं सुनकर भी उसे नज़रदाज़ करता रहा और वो आवाजें देती रही मुझको मैं सुनकर भी उसे नज़रदाज़ करता रहा
छपाक सी मेरी जिंदगी कर दी मुझसे कैसी दुश्मनी थी। छपाक सी मेरी जिंदगी कर दी मुझसे कैसी दुश्मनी थी।
हम तो सहरा में भी, भीगे हुए से, ही लगते हैं, तेरे हुस्न से, जलवों की, जब बौछार होती है हम तो सहरा में भी, भीगे हुए से, ही लगते हैं, तेरे हुस्न से, जलवों की, जब बौछा...