मद्धम सी बरसात, मझधार भी किनारे से मिल जाये मिलते नहीं जिन्हे किनारे, अकेले किनारे कहाँ जाये! मद्धम सी बरसात, मझधार भी किनारे से मिल जाये मिलते नहीं जिन्हे किनारे, अकेले क...
जबरदस्ती किसी को भी बाँध कर नही रख सकते हैं। जबरदस्ती किसी को भी बाँध कर नही रख सकते हैं।
मन की कल्पना के जैसे पंख खुले, पताका हमारी चाँद के पार गयी, मन की कल्पना के जैसे पंख खुले, पताका हमारी चाँद के पार गयी,
ईश्वर से वार्तालाप का वो अंश तुम्हें कैसे सुनाऊं ईश्वर से वार्तालाप का वो अंश तुम्हें कैसे सुनाऊं
अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा हूँ . कई कोशिशें की इससे निकलने की. अंदर ही अंदर खुद से लड़ रहा हूँ . कई कोशिशें की इससे निकलने की.
उन्हें न पा सकने की ख्वाहिशें.... उन्हें न पा सकने की ख्वाहिशें....