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Alka Soni

Others

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Alka Soni

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रिश्तों की पोटली

रिश्तों की पोटली

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बांध कर गठरी

रिश्तों की,

चल पड़ी हूँ

मैं भी अब।


गांठ पोटली की

ज्यादा कसती नहीं।

जिसकी इच्छा नहीं हो,

उनको अब रखती नहीं ।


उसे हर पल सुंदर

बनाने की कोशिशें

जारी है।

फिर भी पोटली

जाने कैसे लगती

भारी है।



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