मरघटों की शांति
मरघटों की शांति
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मौन रहकर
अंतर में
लहू को एक
उबाल दे
भय दिखाती हो
अगर मृत्यु तो
भुजबल से
उसको
टाल दे
सुनाई देती हो
हाहाकार तो
जूझ कर तू
कदमों को
मिलाकर ताल दे
बधिरों से भरी
सभा में
ऊंची कर
आवाज़ तू
मरघटों की शांति में
एक बवाल दे।