फ़टी जेब
फ़टी जेब
कल शाम को
घर आते वक़्त,
गिर गए ख्वाब कई
मेरी फ़टी जेब से
अधूरे सपनों की गिन्नियों
को कब से सम्भाले,
चल रही थी
पूरे कर ही लूंगी
किसी दिन ख्वाब
फुरसत पाकर,
जीने की इस आपाधापी में
जिनसे मिले सुकून
भूल चुकी थी कि
जेब में भी,
सुरक्षित नहीं रहते ख्वाब।
अगर तुरपाई समय पर
ना करो तो फिसल सकते हैं
अनमोल सपने भी
अब उन अधूरे सपने
को पूरा करने का हौसला
और जुनून
दिल में जगाना पड़ेगा
इस भाग-दौड़ में भी
हमें याद रखने होंगे
स्वयं के देखे सपने भी
तभी हम पाएंगे उत्कर्ष
जीवन में।