कौन कहता है, की मोहब्बत…..
कौन कहता है, की मोहब्बत…..
कौन कहता है, मोहब्बत, बस, एक बार होती है,
मुझको तो, ये तुझसे, हर बार, बार-बार होती है,
होश में रहने का, फिर मुझको, होश नहीं रहता,
जब मेरी शख़्सियत, तेरी हस्ती से, दो-चार होती है।
कौन कहता है, की मोहब्बत…..
चेहरा चाँद का आईना, गेसू घटा की निशानी,
आँख जैसे कि सागर, बाँहों में मौज की रवानी,
हम तो सहरा में भी, भीगे हुए से, ही लगते हैं,
तेरे हुस्न से, जलवों की, जब बौछार होती है।
कौन कहता है, की मोहब्बत…..
किताबें गम में, खुशी का कोई, फसाना हो तुम,
ज़िंदगी जीते, चले जाने का, एक बहाना हो तुम,
गम और खुशी में, फर्क फिर, महसूस नहीं होता,
तेरे होंठों से, जब हँसी की, एक झंकार होती है।
कौन कहता है, की मोहब्बत…..
ये इश्क रहे सलामत, यही तौर हो, ज़िन्दगी का,
तेरी रूह से हो रौशन, हर ज़र्रा, मेरी खुदी का,
तेरे साथ से खिलते है, तेरे साये में, संवरते हैं,
खुशबू से धुले, पंकज से ही तो, ये बहार होती है।
कौन कहता है, की मोहब्बत…..