saru pawar
Tragedy
ख्वाब क्यों टुटे मेरे
पंख क्यों कटे मेरे
उडान मुझको भी थी भरनी
उड़ना था आंसमानों में
छू लेती शायद कुछ ऊँचा
डर था किसी को मेरी ऊँचाई का
काँट दिये फिर पंख मेरे
अपने अहम के चलते।
लफ्जों का कार...
कोरा कागज
जिंदगी से सीख...
औरत जानती है....
माँ के साथ
बात जब आबरु क...
प्रिय अतित..
बहके जब कदम
निर्मल मन
अब बरस भी जा....
चंद सिक्कों के खातिर अपनो के बीच लड़ाई करवाती है ये दुनिया, चंद सिक्कों के खातिर अपनो के बीच लड़ाई करवाती है ये दुनिया,
ये इंसान खुद को खुद से ठगाता है.. इलजाम हालात पर लगाता है. .. ये इंसान खुद को खुद से ठगाता है.. इलजाम हालात पर लगाता है. ..
अकेला मै घूम रहा हूं, तेरे इश्क में दिवाना बना हूं। अकेला मै घूम रहा हूं, तेरे इश्क में दिवाना बना हूं।
अब रिश्तों नातो का नही है कोई मोल, मानो पैसा ही सब कुछ हो गया। अब रिश्तों नातो का नही है कोई मोल, मानो पैसा ही सब कुछ हो गया।
मैंने आँख ना मिलाई, उसके बाद उससे कभी, उस शोर भरी रात में, वो मेरी हँसी तोड़ बैठा। मैंने आँख ना मिलाई, उसके बाद उससे कभी, उस शोर भरी रात में, वो मेरी हँसी तोड़ बैठा...
अपने ही हाथों उसने अपना स्वास्थ्य खराब कर दिया। अपने ही हाथों उसने अपना स्वास्थ्य खराब कर दिया।
वैसे कहने को तो सब कुछ मिल गया जीवन में, वैसे कहने को तो सब कुछ मिल गया जीवन में,
बढ़ती भीड़ देखकर कह उठे दिनेश, अब ना कोई कुछ कर पाएगा। बढ़ती भीड़ देखकर कह उठे दिनेश, अब ना कोई कुछ कर पाएगा।
आत्म सम्मान की राह नहीं होती आसान, चुनना पड़ता है सत्य की राह को। आत्म सम्मान की राह नहीं होती आसान, चुनना पड़ता है सत्य की राह को।
वो सही प्रतिनिधि का चुनाव कर दूर करा सकें पीड़ाएं और क्लेश। वो सही प्रतिनिधि का चुनाव कर दूर करा सकें पीड़ाएं और क्लेश।
जिस रोज तुम गए थे ..... मुझे छोड़ कर। दो शब्द भी हिस्से न आयें मेरे। जिस रोज तुम गए थे ..... मुझे छोड़ कर। दो शब्द भी हिस्से न आयें मेरे।
भटकती ही रहती है बंजारों की मानिंद, कर्तव्य अधिकार का खाता बांचती रहती है ! भटकती ही रहती है बंजारों की मानिंद, कर्तव्य अधिकार का खाता बांचती रहती है !
मृत्यु दंड का नाम सुनकर आदमी की नींद उड़ जाती है। मृत्यु दंड का नाम सुनकर आदमी की नींद उड़ जाती है।
जब मैंने आपकी साँसों को शरीर का साथ छोड़ते देखा! जब मैंने आपकी साँसों को शरीर का साथ छोड़ते देखा!
दुआएं पता ना चला कब कबूल हो गई। दुआएं पता ना चला कब कबूल हो गई।
किसी को लाखों की कमाई के बाद भी मिलता नहीं सुकून है। किसी को लाखों की कमाई के बाद भी मिलता नहीं सुकून है।
वो कहते हैं, लोगों का क्या वो तो कहते रहते हैं ! वो कहते हैं, लोगों का क्या वो तो कहते रहते हैं !
निरापद नहीं रही इस दहर मानवता, चारों तरफ विस्तृत करूण क्रन्दन है ! निरापद नहीं रही इस दहर मानवता, चारों तरफ विस्तृत करूण क्रन्दन है !
तड़प कर मर जाओगे इक दिन तुम नहीं रहोगे तो,तुम्हारी पुश्तें देखेंगी। तड़प कर मर जाओगे इक दिन तुम नहीं रहोगे तो,तुम्हारी पुश्तें देखेंगी।