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Jai Prakash Pandey

Others

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Jai Prakash Pandey

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पहचान का संकट

पहचान का संकट

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किसी अनजान के 

साथ एक दिन  

जीवन का सच 

देखने जैसा है। 

.................

देखते ही देखते 

ये सब क्या हो गया ,

जब हम घर में थे 

अनजान ने मुन्ना कहा। 

............

देखते ही देखते 

ये क्या हो गया 

राह में हमें राहगीर 

का नाम इसी ने कहा, 

आफिस पहुँचे तो 

कुर्सी में बैठाकर 

अनजान ने बाॅस कहा।

...............

देखते ही देखते 

ये क्या हो गया? 

बस में सवार हुए 

इसने यात्री कह दिया, 

प्रेम जैसे ही किया 

अनजान ने प्रेमी कहा, 

.............

देखते देखते ये क्या हुआ 

जब खेत खलिहान पहुँचे

सबने किसान का दर्जा दिया, 

बेटे के स्कूल दाखिले में 

अचानक पिता बना दिया। 

............

देखते देखते ये क्या हुआ 

पत्नी ने धीरे से पति कह दिया, 

मंदिर में घंटा बजाते हुए 

पुजारी ने भक्त भी कह दिया। 

..............

देखते देखते इतना सब हुआ 

अनजान ने बेनाम कर दिया।


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