आदमी
आदमी


सांझ अकेली है कोई साथ ही नहीं
काम में मशगूल हैं इतने सुकून के पल जरूरी नहीं
ढलता हुआ सूरज आसमां में फैली लालिमा
लहरों की तरंगों का साथ गुनगुनाना अब सीखा नहीं
यूं अकेले अकेले न रहो सबके संग मिला करो
आदमी हो तुम तो बनो मशीन नहीं।
सांझ अकेली है कोई साथ ही नहीं
काम में मशगूल हैं इतने सुकून के पल जरूरी नहीं
ढलता हुआ सूरज आसमां में फैली लालिमा
लहरों की तरंगों का साथ गुनगुनाना अब सीखा नहीं
यूं अकेले अकेले न रहो सबके संग मिला करो
आदमी हो तुम तो बनो मशीन नहीं।