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dhara joshi

Abstract

4  

dhara joshi

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ये साल भी बीत गया....

ये साल भी बीत गया....

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कोई हार गया कोई जीत गया

ये साल भी आख़िर बीत गया


कोई के लिए खुशियों का ख़जाना खोल गया

कोई के लिये ग़मो की बारिश दे गया

आख़िर ये साल भी बीत गया


कोई के लिए नई जीने की उम्मीद दे गया

कोई के लिए जीने की हर वजह मिटा गया

आख़िर ये साल भी बीत गया


कोई को सफलता की सीढ़ियां दिखा गया

कोई को असफलता की खाई में गिरा कर गया

आख़िर ये साल भी बीत गया


कोई को मीठी यादें देकर गया

कोई को गहरे जखम देकर गया

आख़िर ये साल भी बीत गया


कोई को अपना हमसफ़र देकर गया

कोई को अपनों से दूर कर गया

आख़िर ये साल भी बीत गया


कोई के जीवन में रोशनी की किरण दे गया

कोई के जीवन में अंधेरा कर गया

आख़िर ये साल भी बीत गया


कोई को सबक़ सीखा गया

कोई को जीने का ठंग सीखा गया

आखिर ये साल भी बीत गया!


                  



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