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dhara joshi

Drama Romance Classics

4  

dhara joshi

Drama Romance Classics

क्या लिखूं....

क्या लिखूं....

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आज फ़िर क़लम उठाई हैं

तेरे बारे कुछ लिख़ने के लिए

सोचती हूँ क्या लिखूँं तेरे बारे शिकायत लिखूँ

ग़म लिखूँ खुशियां लिखूँ या फ़िर लिखूँ


मुझसे तेरा एहसास

तेरे प्यार की खामोशी लिखूँ

तेरे ग़ुस्से की आवाज़ लिखूँं

तुजसे मेरी होती बेचैनी लिखूँ


या फ़िर लिखूँ तुजसे मुझसे मिलने का सुकून

तेरा मुझसे रूठ ने का अंदाज लिखूँ

या फ़िर लिखूँं

मुझे मनाने का तेरा तरीका

तेरे सीने से मुझे लगाने का परम प्रेम लिखूँ


या लिखूँ तेरे डांट का तीखा वार

तेरे प्रेम की बरसात लिखूँ या लिखूँं

बात ना हो तब होती पानखर।


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