अंजाम-ए-वफ़ा
अंजाम-ए-वफ़ा
मिली कैसी अंजाम-ए-वफ़ा है मुझे
उम्र -भर की सुनाई सजा है मुझे।
क्या कहें तुमने क्या -क्या दिया जिंदगी
हर कदम पर मिला बस दगा है मुझे।
मुझमें जिन्दा रही बस गलतफहमियाँ
ख्वाब झूठे हैं सारे पता है मुझे।
यूँ तो खबरें जहाँ की बता देता पेपर
एक तेरा ही न देता कोई पता है मुझे।
डूबे रहते है तुझमें ही हम रात-दिन
तेरी यादों का ऐसा नशा है मुझे।
जब से देखा है हँसते गरीबों के बच्चे
पत्थरों में भी दिखता खुदा है मुझे...।।