अकेली मैं
अकेली मैं
आज खुश हूँ मैं तुम्हें खोकर,
आज खुश हूँ तन्हा हो कर,
वो घड़ी घड़ी मुझे टोकना,
वो हर मोड़ पर रास्ता रोकना,
कभी बन कर दीवार खड़े हो जाना,
वो पल पल मुझे सताना।
अब जाना ये जिंदगी कितनी हंसी है,
जाना मैंने कितनी दिलनशीं है,
वो बिना मतलब मेरी चिंता करना,
स्कूल से आते बच्चे की
तरह मेरी राह तकना।
हर पल मुझे अपने
होने का एहसास कराना,
दिन रात मुझे दिलासे दिलाना,
कभी हो जाऊं उदास मैं तो,
बिना मतलब मेरा मन बहलाना।
तुम्हे लगता है तुम्हारा साथ जरुरी था,
पता नहीं तुम्हें ये
अकेलापन कितना मेरा था,
अब तो मैं कभी भी आ सकती हूँ,
जो चाहूँ इस दुनिया में पा सकती हूँ।
अब कोई पाबंदी मुझे नहीं रोकेगी,
कोई बात मेरी मर्ज़ी नहीं टोकेगी,
क्यों सोचते थे मैं अकेली जी नहीं पाउँगी
लगता क्यों था इन वीरानियों में खो जाऊंगी।
खुश हूँ बहुत तुम जान लो,
तुम सबकुछ नहीं पहचान लो,
बस थोडा सा दिल दुखता है,
बस थोड़ी सी राह ताकता है,
बस थोड़ा सा याद आते हो,
बस बहुत थोड़ा सा रुलाते हो।
यदि मन हो तो आ जाना,
यदि लगे तो फिर साथ निबाहना,
बस थोड़ी सी आँख भर आई है,
बस जरा सी भारी ये जुदाई है।