बारिश
बारिश
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मेरी नींद उड़ा गयी बारिश
रात भर फिर जगा गयी बारिश
गुज़रे लम्हात ज़हन में ला कर
शिद्दते-ग़म बढ़ा गयी बारिश
कितने मंज़र निगाह में उभरे
याद क्या क्या दिला गयी बारिश
आसमाँ से उतर के ये शायद
मेरी आँखों में आ गयी बारिश
दिल ही दिल में कहा सुनी करके
मुझ को क्या कुछ सुना गयी बारिश
इक अजब सी चुभन है सीने में
तीर कैसे चला गयी बारिश
हर बरस की तरह ही अब के भी
मुझको फिर से रुला गयी बारिश
बंद पलकों की कोर से गिर कर
कितने दरिया बहा गयी बारिश
इस क़दर खलबली हुई अद्विका
दिल में हलचल मचा गयी बारिश