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Mumuksha Nagotia

Abstract Drama Tragedy

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Mumuksha Nagotia

Abstract Drama Tragedy

शायद ,या शायद नहीं

शायद ,या शायद नहीं

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हर दिन अपने अंदर 

किसी अनजान स्त्रोत से ऊर्जा भरकर 

परिचय देता हूँ अपना 

उस दुनिया को 


जो मुंह मोड़ती है मुझसे हर बार 

जैसे नकार दिया हो मेरा अस्तित्व 

जैसी देखकर एक नज़र किया हो अनदेखा 

सहम कर लौट आता हूँ 

दोहराने कल फिर वही बात 


शायद मेरे परिचय में है खोट 

शायद भाँप लेते हैं 

वे इसके पीछे का डर ,शायद 

या शायद नहीं



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