कोरोना में टूटे सपने
कोरोना में टूटे सपने
अपनी खुशी से बेख़बर
ज़िंदगी जीते थे जी भर
सपनों के पंछी उड़ाते हर पल
आसमान छूना नहीं लगता दूभर
आज टूटे सपनों की किरकिरी
आँखों में ले आयी पानी
कोरोना की अनिष्ट बाढ़ में
बिखर गयी सारी खुशी
खत्म हो चली है जैसे
सपने देखने की क्षमता
पुरानी यादों में जीता मन
धुँधला लगता आने वाला कल
परंतु जीवन नहीं थमता
इस सत्य को स्वीकारना होगा
मन की लौ पुनः प्रज्वलित कर
सूर्य की भाँति प्रकाशमान होना होगा
