STORYMIRROR

Mumuksha Nagotia

Tragedy Inspirational

4  

Mumuksha Nagotia

Tragedy Inspirational

कोरोना में टूटे सपने

कोरोना में टूटे सपने

1 min
400


अपनी खुशी से बेख़बर 

ज़िंदगी जीते थे जी भर 

सपनों के पंछी उड़ाते हर पल 

आसमान छूना नहीं लगता दूभर 


आज टूटे सपनों की किरकिरी 

आँखों में ले आयी पानी 

कोरोना की अनिष्ट बाढ़ में 

बिखर गयी सारी खुशी 


खत्म हो चली है जैसे 

सपने देखने की क्षमता 

पुरानी यादों में जीता मन 

धुँधला लगता आने वाला कल 


परंतु जीवन नहीं थमता 

इस सत्य को स्वीकारना होगा 

मन की लौ पुनः प्रज्वलित कर 

सूर्य की भाँति प्रकाशमान होना होगा 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy