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Shruti Kaushik

Abstract

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Shruti Kaushik

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आत्मा

आत्मा

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आत्मा एक रिश्ता है मेरा तेरे साथ

 ना तुझे देखा ना कभी जाना किसी ने।


 पर अगर तू ना हो तो मैं कुछ भी नहीं 

 एक बेजान नीरज बेनाम हूं मैं।


 तू ही तो जान है वरना मिट्टी हूं मैं

 जानती हूं छोड़ देगी इस शरीर को।


 एक नया चोला ओढ़ लेगी तू तो,

 हम शुद्ध रहे ना रहे तुम हमेशा शुद्ध रहती है।


 तेरा होना ही जीवन है, 

 तू है  तो इंसान और भगवान के बीच संबंध है।


 नया नया रंग लेती है हर रोज,

 नए-नए चोले उड़ती है रोज।


 भगवान से मिलने का तू ही एक रास्ता है,

 आत्मा तू ही शुद्ध और सच्ची है।


 तू हम सब का अस्तित्व है

 आत्मा तू ही शुद्ध तू ही परमेश्वर है।


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