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Rashmi Singhal

Abstract

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Rashmi Singhal

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तारा चल रहा है

तारा चल रहा है

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दूर कहीं आसमान में एक तारा चल रहा है

 लगता है ये मानो, सैर पर निकल रहा है।


वहाँ से वहाँ तक,वहाँ से वहाँ तक

जाने ये आगे ओर जाएगा कहाँ तक,

टिम-टिम टिम-टिम टिम-टिम करके

कभी ये बुझ रहा है कभी ये बल रहा है।


दूर कहीं आसमान में एक तारा चल रहा है

 लगता है ये मानो, सैर पर निकल रहा है।


 बादलों में ये कभी-कभी छुप जाता

 चलते-चलते कभी भी ये रूक जाता

कितना है प्यारा,कितना है न्यारा

 सुन्दरता से अपनी हमें ये,छल रहा है।


दूर कहीं आसमान में एक तारा चल रहा है

लगता है ये, मानो सैर पर निकल रहा है।


 कभी ये लगता बिल्कुल छोटा

लगता है कभी ये मोटा-मोटा

अम्बर की वो बाहों में जैसे

 उछल-उछल कर पल रहा है।


दूर कहीं आसमान में एक, तारा चल रहा है

लगता है ये, मानो सैर पर निकल रहा है।


 ये ढूँढ रहा हो किसी को जैसे

साथी इसका खोया हो ऐसे

खोजबीन में लग कर अपनी

 छान ये मानो सारे दल रहा है।


दूर कहीं आसमान में एक, तारा चल रहा है

लगता है ये, मानो सैर पर निकल रहा है।


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