तरह तरह के खेल वह करतीं लगता खेल जैसे आँख मिचौली। तरह तरह के खेल वह करतीं लगता खेल जैसे आँख मिचौली।
समाज कहता है मैं मोटा हूँ लेकिन मुझे लगता है कि मैं मेरे लिए सही आकार हूं समाज कहता है मैं मोटा हूँ लेकिन मुझे लगता है कि मैं मेरे लिए सही आकार हू...
खोजबीन में लग कर अपनी छान ये मानो सारे दल रहा है। खोजबीन में लग कर अपनी छान ये मानो सारे दल रहा है।
मुझे तो तुम टुनटुन ही अच्छे लगते हो, ये पतली कमर एक सुनहरी रेख, जब मोटे होते हो तो ज्यादा दमकते हो! मुझे तो तुम टुनटुन ही अच्छे लगते हो, ये पतली कमर एक सुनहरी रेख, जब मोटे होते हो ...
सब कहते दर्पण झूठ नही बोलता मैं कहता दर्पण कुछ नहीं बोलता सदियों से दर्पण गूँगा है गूँगा की गवाही... सब कहते दर्पण झूठ नही बोलता मैं कहता दर्पण कुछ नहीं बोलता सदियों से दर्पण गूँग...