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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Inspirational

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Inspirational

झूठा दर्पण

झूठा दर्पण

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सब कहते दर्पण झूठ नही बोलता

मैं कहता दर्पण कुछ नहीं बोलता

सदियों से दर्पण गूँगा है

गूँगा की गवाही, अपनी वाहवाही

शीशा घर में घुसते ही

दर्पण की सच्चाई मे

चेहरे की अच्छाई मे

स्पष्ट दुविधा नजर आती है!


जैसा दर्पण वैसा चेहरा

किसी में लंबा, किसी में गोल

किसी में छोटा, किसी में मोटा

किसी में सीधा, किसी में उल्टा

अतः सुंदरता के लिए

गलत है दर्पण बार बार पोंछना

गलत है दर्पण को भी दोष देना

दर्पण के भरोसे मत छोड़ो

चेहरे की खूबसूरती


मन दर्पण की धूल हटते ही

नजर आएगा

असली चेहरा

पूरा व्यक्तित्व

उधार की आदत

सुधार की संभावना

मान लोगे

बाहरी दर्पण

झूठा दर्पण!!


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