पूछना है तो
पूछना है तो
मत पूछो मुझसे कोई जवाब
अपनी बातों का,
क्या बताऊँ मैं तुम्हें
हिसाब मेरी रातों का?
पूछना ही है तो...!
पूछो,चादर की सलवटों से
पूछो,मेरी बैचेन करवटों से,
पूछो,मेरे आँसुओं की सिसक से
पूछो,मेरी अनगड़ाईयों की कसक से,
पूछो,यादों की गहराईयों से
पूछो,मेरी बेबस तन्हाईयों से,
पूछो,काली लम्बी रातों से
पूछो,चाँद से की गई बातों से,
पूछो,मेरी बाँहों के सूनेपन से
पूछो,तकिए के अधूरेपन से,
पूछो,खुली आँखों के ख्वाबों से
पूछो,टूटे दिल की किताबों से,
पूछो,"तुम्हारे लिए"माँगी दुआओं से
पूछो,तुम पर रची कविताओं से,
इनसे ही मिलेगा तुम्हें
जवाब हर बात का,
इनसे ही तुम्हें मिलेगा
हिसाब मेरी,हर रात का।