जीवन की मधुशाला

जीवन की मधुशाला

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ये जीवन है एक मधुशाला,

सबका अपना-अपना हाला,

तरसे कोई बूँद-बूंद को,भरा

किसी का लबालब प्याला,


कोई यहाँ मर-मर के जीता,

जीते-जी कोई यहाँ मर जाता,

कर्मों का प्याला सभी हैं पीते

इससे न कोई यहाँ बच पाता,


कोई पी कर होश में आता,

कोई पी कर होश गंवाता,

जीवन की इस मधुशाला से

खाली नहीं पर कोई जाता,


कोई जाता धोखा खाकर

कोई जाता मौका पाकर

जीवन है ऐसी मधुशाला

हर कोई पीता इसे आकर,


कोई पीए इसे अमृत जानकर,

कोई पीए इसे विष मानकर,

बच सके न इससे पर कोई

आते यहाँ सब यही ठानकर,


मस्त है कोई अपनी मस्ती में,

वयस्त है कोई अपनी हस्ती में,

करे कोई परवाह तो,कोई न

आग लगे फिर चाहे बस्ती में,


सबका अपना-अपना हाला,

ये जीवन है एक मधुशाला,

अधँकार है कभी यहाँ पर

तो,है यहाँ पर कभी उजाला।

     


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