अक्षय-भारत
अक्षय-भारत
रहे सूर्य अक्षय भारत का
विश्व पटल के आकाश,
विश्व गुरू बनकर के ये
फैलाए हर ओर प्रकाश,
झिलमिल करते तारों सी
रहे इसकी ज्योति उज्जवल,
करूणा ममता के सागर का
बहता रहे यहाँ जल निर्मल,
अजर रहे इसकी गाथा
अमर रहे इसका इतिहास,
हर दिन बढ़ते चन्द्रमा सा
करता रहे अपना विकास,
रहे अक्षय इसकी विविधता
जिसकी है बात निराली,
भिन्नता में भी रहे एकता
चहुँ ओर फैले खुशहाली,
जन-जन का हो अधिनायक
गुरू रहे ये सदा प्रकाण्ड,
न केवल यह विश्व अपितु
करे प्रकाशित पूरा ब्रहमाण्ड,
रहे अक्षय भारत का गौरव
अक्षय रहे इसका सम्मान,
रहेगा अपनी मातृभूमि पर
हम सबको सदा अभिमान।