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अजय '' बनारसी ''

Abstract

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अजय '' बनारसी ''

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ईश्वर साक्षी है

ईश्वर साक्षी है

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थोड़ी सी सावधानी

बरती होती मैंने

कुछ पैसे की 

एक ही गोली 

काफ़ी थी या

मुफ्त में बंट रहे प्रसाधन

जो सरकार बाँट रही है।


या सांसारिक अपनी 

जिम्मेदारी से

भटक गया होता

तो तुम्हारा अस्तित्व

ही नहीं होता।


ईश्वर साक्षी है 

तुम्हारे आने से पहले

सौ जतन किये थे

तुम कोई अवैध प्यार 

की बदनाम निशानी नहीं

न ही हमारी शारिरिक

भूख मिटाते हुए।


तुम गलती से पैदा हुई हो

और वैसे भी अगर तुम

अनचाही होती या होते

तब भी एक ही गोली

या कई तरकीब थे।

 

तुम्हारे इस दुनिया में

आने से रोकने के लिये

हम खुशनसीब समझे थे 

तुम्हें पाकर और कल्पना

की थी संसार के 

प्रसिद्ध लोगों से तुलना कर कि,


मेरी बेटी या बेटा

विवेकानंद बनेगा , डिप्टी

कलेक्टर बनेगा या गार्गी

किरण बेदी न जाने

कितनी नामी हस्तियां

दिखती थी हमें।


तुम्हारे बचपन में

और हमदोनो ने 

रात दिन मेहनत करके 

तुम्हे वो सब दिया 

जिससे तुम इस 

काबिल बन सकों।


लेकिन

आज तुमने सार्वजनिक

मंच से कह दिया 

कि तुम्हें तुम्हारे

माता पिता से खतरा हैं

खतरा तो तब होता।


जब तुम्हें आने ही 

न दिया होता 

रोक लिया होता

मार दिया होता 

ईश्वर साक्षी हैं

कुछ पैसे की

एक गोली ही 

काफ़ी थी।


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