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अजय '' बनारसी ''

Inspirational

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अजय '' बनारसी ''

Inspirational

शक्ति

शक्ति

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दिन भर की थकान

माथे पर शिकन

फिर भी एक

ज़ोश , उल्लास

लिये वो जा रही है

निर्भीक अपने पथ पर

अपने घर की ओर


पीछे से कोई और

जा रहा है

दिन भी की थकान

वही शिकन

जोश , उल्लास

लिये पथ पर


लेकिन

उसके और इसके

कार्य सीमा में

एक अंतर है

क्योंकि

इसके घर मे कोई

उतनी ही थकान लिये

माथे पर शिकन

चेहरे पर मुस्कान लिये

खड़ी होगी

एक गर्म चाय की प्याली के साथ

वह भी अपने दिन भर की

दिनचर्या और थकान के बाद


वहीं उसके घर पर जाने पर

वह फिर से व्यस्त हो जायेगी

घर को अस्त व्यस्त से

सजाने संवारने के साथ

सभी की क्षुदा शांत करने के

प्रयास में भूल जायेगी

अपनी भूख

रात्रि के पहले पहर में

क्षुदा की भूख को शान्त कर

वह अब भी तैयार है,

थकी नहीं 

खुश करने अपने स्वामी को

अनवरत वह जागृत है

चेतन अवचेतन अवस्था में भी


यह विडम्बना नहीं

आंतरिक शक्ति है स्त्री की।



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