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Sarita Dikshit

Inspirational

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Sarita Dikshit

Inspirational

मग़रूर

मग़रूर

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यूं  न मग़रूर फिरो

अपनी ही अना में हरदम,

वक्त टिकता नहीं

उसका भी समय आता है।


ज़िक्र करते हो क्यों

हासिल ना हुआ जो तुमको,

टूट के शाख से 

पत्ता नहीं जुड़ पाता है।


देख के सारे जहां की दौलत

थक के दिल,

अपने ही घर में

सुकून पाता है।


मेरे हर दर्द की

दवा तुम हो,

ज़ख्म रुसवाई का ,

देकर तू कहां जाता है।


लोग करते हैं गुमां

खामख्वाह शोहरत की

जिस्म से प्राण तो

झटके में निकल जाता है।


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