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Padma Verma

Inspirational

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Padma Verma

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दिवाली इन्सानियत की....

दिवाली इन्सानियत की....

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 सारा शहर जगमगा रहा है ,

 दिवाली का दिन जो है ,

 पटाखों की गूॅंज से 

 सारा आसमान थर्रा रहा है।


 अस्पतालों के मरीज ,

 खिड़की से आती जगमगाहट 

 की रौशनी से दिवाली का 

 आनन्द ले रहें हैं।


 कोई अपनी 

 पिछली दिवाली को 

 याद कर रहा है ।

 कोई अगली दिवाली की उम्मीद।


मीठे पकवानों की सुगंध 

की अनुभूति उनके नाक में

तथा स्वाद का जायका 

मुॅंह में आने लगा है।


अब वे पुराने दिन लौटेंगे,

लौटेंगे भी या नहीं ....

ये उन्हें नहीं पता पर ,

पटाखों की गूॅंज बरकरार है...


पटाखों की गूॅंज में जो ,

पैसे धराशाही हो रहें हैं,

यदि वो पैसे मरीजों की 

दवाइयों में खर्च हो ....


दिवाली के उपहार मरीज बच्चे, 

जवान, बूढ़ों को दिए जाय।

पशु - पक्षियों का भी ख्याल रख

गरीबों को मिठाई, कपड़े दिए जाए।


यदि हर इंसान इस बात 

पर अमल करे तो 

भारत में मरीजों की 

संख्या कम हो जाएगी।


और तब पटाखों की जगह

हर घर से हॅंसी के ठहाके फूटेंगे ...

तथा रौशनी की जगमगाहट

घर और अस्पताल दोनों जगह होगी।


घर में खिड़कियों तथा बालकनी में 

और अस्पताल में मरीजों के हृदय में।

मरीज अपने घर को रवाना होंगे ,

परिवार अपने परिजनों के साथ होंगे ।


ये होगी इन्सानियत की ,

ये होगी सच्ची, निस्वार्थ की

ये होगी अपनेपन , स्नेह की 

ये होगी हमारे भारत की दिवाली।


ये होगी भारत की ...

प्यारी - प्यारी दिवाली।

दिवाली की ढेर सारी 

शुभकामनाऍं एवं बधाई ।


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