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अजय '' बनारसी ''

Abstract Tragedy Inspirational

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अजय '' बनारसी ''

Abstract Tragedy Inspirational

खोई

खोई

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बड़ी मेहनत से

उपजे गन्ने को

चूस कर उसने

उसकी खोई

फेंक दी


ये सोचकर

कि यह कचरा है

उसे क्या पता

रस देने के बाद भी

खोई स्वयं जलकर

किसी के पेट को

भरने के लिये

रोटी बनाने में

मदद कर सकती है


जो भीतर से भरा होता है

उसका कण कण

भी किसी के काम आ सकता है

सीखना होगा 

दूसरे के खेतो में

मेहनत से उपजाये

गन्ने को चूस 

उसकी खोई फेंकने से पहले

उस हर व्यक्ति को जो  सिर्फ


अपने लिये सोचता है

दूसरों के लिए मात्र

दिखावा करता है

जिसके लिए

हर आदमी व्यापार है

इस्तेमाल के बाद 

बंगले झाँकना


जैसे वह फेंक देता है

खोई को ये समझकर

रस इसका पी लिया है मैंने

अब यह मेरे काम का नहीं

ये दुनिया बड़ी है

मेरा व्यापार चलता रहेगा

उसे यह समझना होगा

जो भरा है वही खरा है

बाकी थोथा चना बाजे घना है।


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