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Chetna Sharma

Drama

5.0  

Chetna Sharma

Drama

क्यों लगाई देर कृष्ण मुरार

क्यों लगाई देर कृष्ण मुरार

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राधा कहे कृष्ण से,

तुम संग होली ना,

खेलूँ इस बार,

तुम तो हो लोभी,

ना तुम्हरा मुझ पर अधिकार।


कृष्ण कहे राधा से,

नख से शिख तक सरोबार हो,

मेरे ही तो रंग में,

करती फिर काहे,

तुम यूँ मेरा प्रतिकार।


राधा कहे कृष्ण से,

तेरी चुपड़ी सी बातों में,

ना आऊँ इस बार,

सारी चुनरी भिगो दी तुमने,

अब चाहो का क्या तिरस्कार।


कृष्ण कहे राधा से,

खेलोगी क्या मुझ संग होली,

क्षोभ में यूँ इस बार,

देखो ना यूँ रुठो,

रंग दूँ मैं कोई दूसरी नार।


राधा कुछ घबराई,

कुछ सकुचाई फिर,

बोली कर मनुहार,

रुठो ना मुझसे,

करूँ ठीठोली,

हे ! मेरे कृष्ण मुरार।


मंद मंद फिर कृष्ण मुस्काए,

जीत पर अपनी,

कुछ इतराए,

झूठा क्षोभ फिर,

भूकृटी तान,

कुछ दिखलाए।


राधा कहे कृष्ण से,

कुछ घबराए,

नैन टिकाए राह निहारे,

कब से यह नार,

भिगों दो चुनरी भिगो दो चोली,

तुम पर सब मैं जाऊँ वार।।


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