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Chetna Sharma

Abstract

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Chetna Sharma

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जिम्मेदार पुरुष

जिम्मेदार पुरुष

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हाँ अब तुम अल्हड़ लड़के से,

जिम्मेदार पुरुष मे बदलने लगे हो,

जब तुम शर्ट का बटन खोलते हुए,

कुछ थके से आकर बैठते हो दफ्तर से,


तुम्हारे हाथो की धीमी गति बताती है,

तब दिखाई देता है की तुम

पापा की तरह थकने लगे हो,

जिम्मेदार पुरुष बनने लगे हो।


जब आधी रात की गहराई के तले,

अंधेरे मे तुम्हारी आँखे ढूढ़ती है,

जिम्मेदारियो के कुछ हसीन पल,

नींद के बिछोने मे पड़े सोचते हो,


तुम उन परेशानियो के अनसुलझे से हल,

तब दिखाई देता है की तुम,

पापा की ही तरह थकने लगे हो,

जिम्मेदार पुरुष बनने लगे हो।


जब सड़क पर गाड़ी चलाते हुए,

उन तीन बाइक पर जा रहे लड़को को,

धीरे चला यार इंतजार कर रहा है कोई,

ऐसे अजनबी को टोकते हो,

और कुछ ऐसे ही किए


किस्सों की खनक बिखेरते हो,

तब हाँ दिखाई देता है की तुम,

पापा की ही तरह थकने लगे हो,

जिम्मेदार पुरुष बनने लगे हो।


ससुराल से आई बहन की,

चोटी खीचने की बजाए,

जब उसकी आंखो को पढ़कर,

सब ठीक तो है ना पूछने लगे हो,

तब दिखाई देता है की तुम,

पापा की ही तरह तुम थकने लोग हो,

जिम्मेदार पुरुष बनने लगे हो।


पत्नी की शिकायतों की माला,

बच्चो की फरमाइशो का ताला,

जब तुम अपने प्रेम के तराजू में,

हरसू तोलने लगे हो,


तब दिखाई देता है की तुम

पापा की ही तरह थकने लगे हो,

जिम्मेदार पुरुष बनने लगे हो।


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