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Ahmak Ladki

Drama

4.8  

Ahmak Ladki

Drama

मैं

मैं

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मैं पल-पल रंग बदलती हूँ

मैं हवा के संग-संग चलती हूँ

कभी बिजली हूँ, कभी पानी हूँ

कभी नदिया में, कभी आँखों में।


मैं कली-कली मुस्काती हूँ

मैं फूल-फूल संग खिलती हूँ

कभी माला हूँ, कभी चादर हूँ

कभी मंदिर में, कभी मस्ज़िद में।


मैं रात-रात की बात कभी

मैं ख़्वाबों की सौगात कभी

मैं ईद कभी, कभी करवा चौथ

कभी सजदे में, कभी थाली में।


खुशियों में पलक भिगोती हूँ

मैं दुःख में भी हँस जाती हूँ

मत समझो मुझे पेचीदा हूँ

कभी लफ़्ज़ों में, कभी राजों में।


कोई थाह नहीं मेरी जानो

सब कहते फिर भी थोथी हूँ

मैं संजीदा, मैं अल्हड़ भी

कभी यादों में, कभी बातों में।।



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