दिसंबर और जनवरी
दिसंबर और जनवरी
चलो इस साल कुछ यूं करें
मैं बनूँ दिसंबर, तू जनवरी बनें
लोग छुड़ाए मुझसे पीछा
तू उनसे गले मिले
मुझ में यादें पीछे छूटें
तुझ में मिलन की आस पले
रंग-रूप हो दोनों के एक,
जुदा-जुदा अंदाज़ दिखे
मैं बनूं अंत बुरी यादों का
तू खुशियों की सौगात बनें
मुझे अलविदा कर भूल जाएं सब
तुझको स्वागत के हार मिले
जो भी मैं त्यागु, तू अपनाए
मेरा अधूरा वादा तू पूरा करे
एक रस्सी के दो सिरों के जैसे
दूर हों, फिर भी एक-दूजे का साथ मिले
तुम से मुझ तक पहुँचने में लगे महीनों
मुझ से तुम तक जाने में बस एक दिन लगे
चलो इस साल कुछ यूं करें
मैं बनूँ दिसंबर, तू जनवरी बनें।