Ahmak Ladki
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हाल न पूछा मुड़ कर उसने तबियत जब नासाज़ हुई
ना जाने किस मंजर से गुज़रे, बेजा सब फ़रियाद हुई
दुआ कबूल ना हुई उस दर पर,सज़ा ना कोई माफ़ हुई
एक तस्वीर थी धुंधली कब से, आज ज़रा सी साफ़ हुई !
प्राकृत
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