तुम हो शाश्वत
तुम हो शाश्वत


तुम हो या नहीं हो
तुम थे, तुम नहीं थे
कही तो हो तुम
कही तो थे तुम ?
तुम कही गए ही नहीं
तुम यहीं थे और तुम यही हो
फिर भी चले गए तुम,
फिर क्यों चले गए तुम।
वैसे तुम थे ही कहाँ?
तुम्हारे होने
और ना होने के बीच
जो भी कुछ था
बस वो ही तो थे तुम
आधे थे, पौने थे
बिरह के बिछोने थे
फिर भी थे तुम
कही नहीं हो तुम
फिर भी तुम हो सदा
तुम हो अनवरत
मेरे मन की
काल कोठरी में
तुम हो सारस्वत
तुम हो शाश्वत