जीते जी भी मरते हैं।।
जीते जी भी मरते हैं।।
दूसरे के ग़मों को सुनते सुनते
हम ने अपने ग़मों पे पर्दा ही डाल दिया।।
बेवज़ह हम रब से शिकायत करते हैं
ग़म तो हम से भी ज़्यादा कही लोग सहते हैं।।
रब के दर पे हम अर्जियां करते थे
कुछ खुशियाँ हमें भी दे दो,
आज जाना तकलीफों की बारिश सिर्फ हम पे नहीं होती
कही लोग जीते जी भी मरते हैं।।