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dhara joshi

Romance Fantasy

3  

dhara joshi

Romance Fantasy

चले आओ......

चले आओ......

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हाथों में हाथ थामकर घूमने को चले आओ हमारे हाथों का निमंत्रण है

पैरो में पायल बांधने चले आओ हमारे खाली पैरों का निमंत्रण है

जो कहना है वो लफ्ज़ गले तक रुके हुए है कहने को 

हम बेकरार है होंठों का निमंत्रण है चले आओ

पलकें बिछाए हुई बैठे हैं तुम्हें देखने को आँखों का निमंत्रण हैं चले आओ

तुम्हारी रूबरू आवाज़ सुनने को कान तरस रहे हैं कानों का निमंत्रण हैं चले आओ

हृदय से हृदय के तार मिलाने हृदय इंतज़ार में हैं हृदय का निमंत्रण हैं चले आओ



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