कल फ़िर...
कल फ़िर...
कल फिर चिल्लाए आप
कल फिर लगाएं इल्ज़ाम
कल फिर रोती सिसकती रही में
कल फिर आपने इसका आनंद उठाया
आज कुछ भान आया
औऱ फिर हर बार की तरह
सॉरी के दो शब्द से मामला निपटाना चाहा
लेकिन आज मुझे अच्छे से भान आया
आज आपका चहेरा मेरे सामने आया
आज आपके भोलेपन का मुखोटा उतरा
कल तक हर बार माफ़ करके मूर्ख में बनती रही
आज सही परखने का दिन आया
कल तक बहोत जेला
कल तक बहोत सुना
कल तक खामोश रही
लेक़िन बस अब नहीं
आज अपने स्वाभिमान दिखाने का वक़्त आया
कल तक रिश्तों को मान दिया
कल तक संबंध को सबसे बढ़कर माना
आपके अपनो को अपना समझा
मर्यादा का पालन किया
सबका आदर सम्मान किया
लेकिन आपने हर बार क्या कहा !
तूने क्या किया ?
हर बार आरोप, इल्ज़ाम लगाना
फिर मिलने पर चार दिन दिखावे के लिये
जूठा प्यार दिखाना
फिर शरू वही आरोप पे आरोप लगाना
लेकिन बस अब औऱ नहीं में थक चुकी हूं
हार चुकी हूं आपसे
कल तक उम्मीद में थी कि आप
मुझे कभी ना कभी समझोंगे
पर आज पता चल ही गया कि
आप तो मुझे समझ नहीं सकेंगे कभी
और ये भी पता चल गया कि
आज तक मैंने जो आपको समझा
इसमें भी मैं ग़लत साबित हुई।