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Shraddhanjali Shukla

Drama

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Shraddhanjali Shukla

Drama

मन

मन

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मन मेरा चंचल बड़ा, पा रहा नहीं ठौर

चाहूँ ईश्वर ध्यान मैं, ये भटके और


 कहते ज्ञानी तीर्थ जा, कर ले पूजा पाठ

पर मन लगता ही नहीं, घूमे पहरों आठ


मन बस में होता नहीं, कब हों चारों धाम

इस जीवन में है भरा, मोह लोभ अरु काम


मन को जो भी जीत ले, वही जीव है धन्य

मोह जाल में घूमते, बाकी सारे अन्य।


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